Tuesday, January 5, 2021

अफ़सोस – लघु कहानी कहानीकार अनिल कुमार गुप्ता

 

अफ़सोस – लघु कहानी

 

कहानीकार 

 

अनिल कुमार गुप्ता

 

एम कॉम , एम ए ( अंग्रेजी एवं अर्थशास्त्र ), डी सी ए ,

एम लिब आई एस सी , स्काउट मास्टर ( एच डब्लू बी )

पुस्तकालय अध्यक्ष

केंद्रीय विद्यालय संगठन

(वर्तमान के वी – सुबाथु )

कहानी

 

एक छोटा सा परिवार जिसमे माता , पिता , बेटा , बहू और एक पोता | पोते की उम्र करीब सत्रह वर्ष | परिवार खुशहाल और संपन्न| घर में सभी प्रकार के संसाधन मौजूद| बेटा और बहू दोनों नौकरी करते हैं | पिता कॉलेज में लेक्चरर और बहू सरकारी स्कूल में प्राचार्य |

         पोते को सभी कार्तिक कहकर पुकारते | कार्तिक बहुत ही होनहार किन्तु उस पर भी आधुनिक उपकरणों का विशेष प्रभाव था | हाथ में मोबाइल और कान में ईयरफ़ोन | कभी  - कभी किसी काम से उसे घर में उसे कोई पुकारता तो उसे पता ही नहीं होता कि कोई कार्यवश उसे पुकार रहा है | इसे लेकर कार्तिक को कई बार झिड़की भी मिल चुकी है |                        आजकल अमूमन ऐसे दृश्य हर घर में देखने को मिल जाते हैं जहां बच्चे अपने कानों में ईयरफोन पर अंग्रेजी गानों में व्यस्त दिखाई देते हैं |

           दादाजी को दो वर्ष पूर्व ही दिल का पहला हल्का दौरा पड़ चुका है | चूंकि कार्तिक के मम्मी और डैडी दोनों रोज नौकरी पर चले जाते हैं तो पीछे से घर में कार्तिक और उसके दादा – दादी रह जाते हैं | आजकल कार्तिक की गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं इसलिए उसका ज्यादा समय घर पर ही व्यतीत होता है | हर समय हाथ में मोबाइल और  उस पर गेम और कानों में ईयरफोन पर अंग्रेजी में मधुर संगीत | अंग्रेजी संगीत को मधुर लिखना मेरी बाध्यता है चूंकि आज के बच्चों के लिए मधुर संगीत अंग्रेजी में ही होता है |

                      दोपहर के करीब तीन बजे का समय था कार्तिक के माता और पिता नौकरी पर गए हुए थे | कार्तिक अपने कमरे में मोबाइल पर व्यस्त , दादी अपने कमरे में आराम करते हुए और दादाजी  को नींद नहीं आ रही थी सो वे हॉल में टी वी पर पुरानी हिंदी फिल्म का आनंद उठा रहे थे | सब कुछ सामान्य लग रहा था कि अचानक कार्तिके के दादाजी को दिल का दूसरा घातक दौरा पड़ा  | उन्होंने कार्तिक को कई बार आवाज लगाई किन्तु उनकी आवाज़ को सुनता कौन | अचानक कार्तिक को प्यास लगी और वह हॉल में रखे फ्रिज से पानी लेने को आया और दादाजी के अंतिम शब्द “कार्तिक” सुन घबरा गया और दादाजी को संभालने की कोशिश करता तब तक दादाजी इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे |

         कार्तिक ने माता और पिता को फ़ोन कर सूचना दी और वे भागते  -  भागते घर आये | घर में दादाजी को जीवित न पाकर वे बहुत ही दुखी हुए | कार्तिक के मन में एक प्रश्न बार  - बार घर कर रहा था कि वह चाहता तो दादाजी को बचा सकता था किन्तु उसकी मोबाइल पर कुछ ज्यादा ही व्यस्त होने की आदत से उसने अपने दादाजी को खो दिया | उसे अपनी इस आदत और अपने व्यव्हार पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था | उसे पता था कि मृत्यु से पूर्व उसके दादाजी ने उसे कई बार आवाज लगाईं होगी किन्तु ........|

          कार्तिक ने अपने माता  और पिता से माफ़ी मांगी और भविष्य में मोबाइल औए ईयरफोन के इस्तेमाल को लेकर प्रण किया कि वह कम से कम और केवल आवश्यकता पड़ने पर ही इन चीजों का इस्तेमाल करेगा | उसे अपने किये पर अफ़सोस हो रहा था |

शिक्षा :- मोबाइल औए ईयरफोन का इस्तेमाल सोच समझ और स्थान देखकर करें |