Wednesday, October 3, 2018

चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस


चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी

चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी
चलो चलें वहां जहां पले ख़ुशी

चलो चलें वहां जहां मिले शांति
चलो चलें वहां जहां पले शांति

चलो चलें वहां जहां चन्दा का बसेरा हो
चलो चलें वहां जहां सरिता का किनारा हो

चलो चलें वहां जहां खुदा मिले
चलो चलें वहां जहां खुदा बसे

चलो चलें वहां जहां माँ का आँचल मिले
चलो चलें वहां जहां बचपन खिले

चलो चलें वहां जहां सुर की गंगा बहे
चलो चलें वहां जहां संगीत की सरिता बहे

चलो चलें वहां जहां इंसानियत का डेरा हो
चलो चलें वहां जहां मानवता का फेरा हो

चलो चलें वहां जहां पलती हो ममता
चलो चलें वहां जहां न हो कोई विषमता

चलो चलें वहां जहां आदर्शों का डेरा हो
चलो चलें वहां जहां संस्कारों का डेरा हो

चलो चलें वहां जहां बचपन पल्लवित होता हो
चलो चलें वहां जहां माँ के आँचल का डेरा हो

चलो चलें वहां जहां लोरियों का स्वर सुनाई देता हो
चलो चलें वहां जहां पंक्षियों का डेरा हो

चलो चलें वहां जहां जीवन को देख जीवन मुस्कराता हो
चलो चलें वहां जहां जीवन  की रागिनी का डेरा हो

चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी
चलो चलें वहां जहां पले ख़ुशी


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