Wednesday, October 3, 2018

क्षणिकाएं - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन


अल्फाजों को अपनी इबादत का बना लो हिस्सा
जिन्दगी यूँ ही न हो जाए किस्सा
खुदा के अरमानों को अपने अरमां  समझो
खुदा के करम को बना लो अपनी जिन्दगी का हिस्सा

फरेब की अपनी कोई जन्नत नहीं होती
जन्नत इंसानियत के घर का पता होती है
फरेब का अपना कोई आसमां  नहीं होता
आसमान , इंसानियत के घर की छत होती है

सफल जो होना है तो समय  की महिमा जानो
सफल जो होना है तो समय को अपना मानो
समय जो रूठ जाएगा , सब पीछे रह जाएगा
समय को सर्वश्रेष्ठ समझा , तो सब कुछ मिल जाएगा

बादलों को उड़ने से कोई रोक नहीं सकता
समंदर की गहराई को कोई नाप नहीं सकता
आसमां के सितारों को कोई गिन नहीं सकता
सूरज की शख्सियत को कोई कम नहीं कर सकता


द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय संगठन 


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