बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता


बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को

बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को
आसमां तुम्हारा है , उड़ान भरकर देखो

जीवन का उत्कर्ष , साहस , शक्ति , उमंग का एहसास
इसे व्यर्थ न गंवाओ तुम
सपने तुम्हारे अपने हैं , उड़ान भरकर देखो

जीवन का उत्कर्ष , चांदनी सी शीतलता , वायु सा वेग और जल सी निश्छलता
क्यों फिर रहे हो आवारा बादलों से
गगन विशाल है , उड़ान भरकर देखो

अनमोल होती है निंदिया , यूं ही जागजाग रातें न बिताओ तुम
सपनों का गगन व्यापक है , उड़ान भरकर देखो

क्यों दुःख के उस पार , दुःख को खोज रहे हो तुम
स्वयं के अंतर्मन को पंख दो , उड़ान भरकर देखो

अपने किरदार से परिचय क्यों नहीं हो रहा तुम्हारा
स्वयं को सजाओ, संवारो , उड़ान भरकर देखो

तुम्हें अपनी मंजिल का क्यों नहो रहा भान नहीं
जीवन की सार्थकता , सत्कर्म से परिपूर्ण आसमां में है  , उड़ान भरकर देखो



बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.