पथिक तुम इतने विव्हल क्यों - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस


पथिक तुम इतने विव्हल क्यों

पथिक तुम
इतने विव्हल क्यों ?
क्या सूझ नहीं रहा
मार्ग तुमको ?
जीवन की जटिलतायें ,
यात्रा की यातनायें ,
अँधेरे का भय ,
अधूरे सपनों का जाल ,
क्या ये सब तुझे
भयभीत करते हैं ?

मैं पथिक हूँ
मुझे मार्गों का भय कैसा ?
मुझे अँधेरे का डर कैसा ?
उपर्युक्त सभी विषय
मुझे व्याकुल नहीं करते
मेरी निगाह मंजिल पर है
केवल मंजिल पर

पथिक तुम इतने विव्हल क्यों - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस पथिक तुम इतने विव्हल क्यों - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

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