अपने जीवन को यूं न उलझाओ
अपने जीवन को , यूं न उलझाओ
जीवन गीत रचो, और गुनगुनाओ
कामनाओं में न , खुद को उलझाओ
इबादत के गीत रचो , और गुनगुनाओ
खुद को विलासिता, में न उलझाओ
थोड़ा
सा वक़्त खुदा के बन्दों की , खिदमत में लगाओ
अपने जीवन को , ग़मों के सागर में यूं न डुबाओ
खुद की परवाह करो , खुद को समझाओ
अपने जीवन को माया—मोह , में न उलझाओ
स्वयं का उद्धार करो, और मोक्ष की राह पर बढ़ते जाओ
स्वयं को अविश्वास के , बादलों में न उलझाओ
स्वयं को पल्लवित कर , उत्कर्ष की राह पर बढ़ते जाओ
किसी और के आदर्शों का पल्ला , पकड़ क्यों चलते हो तुम
स्वयं को पुष्पित करो, आदर्श की राह निर्मित करते जाओ
लोगों के अभिनंदन में कब तक, बजाते रहोगे तालियाँ
स्वयं पर विश्वास करो, और अभिनंदन राह पर बढ़ते जाओ
द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
केंद्रीय विद्यालय , सुबाथू
No comments:
Post a Comment