Wednesday, October 3, 2018

वादा करके मुकर गया कोई - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता


वादा करके मुकर गया कोई
लगा, हँसते हँसते को रुला गया कोई
हसरत थी उसकी भी उड़ने की
मगर , पंख चुरा ले गया कोई

तुझसे मुहब्बत हुई , तो क्या गुनाह हुआ
इसी बहाने खुदा के और करीब  आ गया हूँ मैं

सच को मैं जितना तोलूँ , उतना ही ये पावन लागे
नील गगन के तारे , सच बिन सब कुछ फीका लागे

उसकी नन्ही मुस्कान चांदनी बिखेरती
कह गई मुझसे
इस नन्ही मुस्कान को सीने से लगा
उस खुदा का एहसास करो


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