वादा करके मुकर गया कोई
लगा, हँसते – हँसते को रुला गया कोई
हसरत थी उसकी भी उड़ने की
मगर , पंख चुरा ले गया कोई
तुझसे मुहब्बत हुई , तो क्या गुनाह
हुआ
इसी बहाने खुदा के और करीब आ गया हूँ मैं
सच को मैं जितना तोलूँ , उतना ही ये पावन
लागे
नील गगन के तारे , सच बिन सब कुछ फीका लागे
उसकी नन्ही मुस्कान चांदनी बिखेरती
कह गई मुझसे
इस नन्ही मुस्कान को सीने से लगा
उस खुदा का एहसास करो
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