Wednesday, November 28, 2018

चाहतों का एक समंदर - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता



चाहतों का एक समंदर

चाहतों का एक समंदर रोशन कर सकूं तो अच्छा हो
मुहब्बत का एक कारवाँ सजा सकूं तो अच्छा हो

गीत पाक मुहब्बत के अपनी लेखनी का हिस्सा कर सकूं तो अच्छा हो
मुहब्बत के गीत  बनकर लबों पर साज़ सकूं तो अच्छा हो

दिल के दर्द को सीने में छुपाकर जी सकूं तो अच्छा हो
किसी की सिसकती साँसों का मरहम हो जी सकूं तो अच्छा हो

पाक दामन पाक आरज़ू को अपनी जागीर बना सकूं तो अच्छा हो
किसी की स्याह रातों में चाँद बन उजाला कर सकूं तो अच्छा हो

कागज़ और कलम का एक अजब रिश्ता कायम कर सकूं तो अच्छा हो
चंद असरार उस खुदा की तारीफ़ में लिख सकूं तो अच्छा हो

उस खुदा के करम से रोशन अपनी शख्सियत कर सकूं तो अच्छा हो
उस खुदा के दर का चराग हो रोशन हो सकूं तो अच्छा हो

No comments:

Post a Comment