Wednesday, October 31, 2018

चंद एहसास - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता - पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय सुबाथू


 चंद एहसास

उनकी वफ़ा वफ़ा है , हमारी वफ़ा बेवफाई
उनके आंसू आंसू हैं , हमारे आंसू पानी

लख्ते ज़िगर समझ समझ, वो उसे पालते रहे
मालूम था वो उनकी मौत का , सामान होगा एक दिन

दिन क्या फिरे वो , खुद को समझ बैठे खुदा
एहसास तब हुआ जब , जिन्दगी बिखरबिखर गयी

किसी को अच्छा क्यों कहे कोई, किसी को बुरा क्यों कहे कोई
ये अवसरवादियों की दुनिया है, यहाँ बुरे को अच्छा कहे कोई

हम भी क्यों पालें , एक दिल अपने सीने में
आज भी खुदा के फरिश्तों की , कमी नहीं है इस दुनिया में

इंसानियत की राह को खुदा की , नेमत समझ क़ुबूल लें हम
बहकें तो संभाल ले कोई, गिरें तो उठा सके कोई

अपनी कोशिशों , अपनी इबादत को उस खुदा की अमानत कर लो
कोई तो हो इस जहां में, जिसे खुदा जन्नत नसीब करे

द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय सुबाथू 

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