चंद एहसास - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता - पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय सुबाथू


 चंद एहसास

उनकी वफ़ा वफ़ा है , हमारी वफ़ा बेवफाई
उनके आंसू आंसू हैं , हमारे आंसू पानी

लख्ते ज़िगर समझ समझ, वो उसे पालते रहे
मालूम था वो उनकी मौत का , सामान होगा एक दिन

दिन क्या फिरे वो , खुद को समझ बैठे खुदा
एहसास तब हुआ जब , जिन्दगी बिखरबिखर गयी

किसी को अच्छा क्यों कहे कोई, किसी को बुरा क्यों कहे कोई
ये अवसरवादियों की दुनिया है, यहाँ बुरे को अच्छा कहे कोई

हम भी क्यों पालें , एक दिल अपने सीने में
आज भी खुदा के फरिश्तों की , कमी नहीं है इस दुनिया में

इंसानियत की राह को खुदा की , नेमत समझ क़ुबूल लें हम
बहकें तो संभाल ले कोई, गिरें तो उठा सके कोई

अपनी कोशिशों , अपनी इबादत को उस खुदा की अमानत कर लो
कोई तो हो इस जहां में, जिसे खुदा जन्नत नसीब करे

द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय सुबाथू 

चंद एहसास - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता - पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय सुबाथू  चंद एहसास -  द्वारा  - अनिल कुमार गुप्ता -  पुस्तकालय अध्यक्ष  केंद्रीय विद्यालय सुबाथू Reviewed by anil kumar gupta on October 31, 2018 Rating: 5

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