Thursday, November 1, 2018

वक़्त - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता (के वी सुबाथू )


वक़्त

वक़्त भी क्या , किसी को कुछ कहकर आता है
कभी ये खुशियों की सौगात लाता है, तो कभी ग़मों का सैलाब लाता है

वक़्त के तराजू को हाथों में , थाम लिया जिसने
उसकी कोशिशों को मंजिल का दामन , नसीब हुआ समझो

वक़्त की कसौटी पर , खुद को खरा साबित कर देखो
तेरे प्रयासों को और तुझे नसीब होंगे , आसमां के सितारे

वक़्त के परचम तले , खुद को संवारकर देखो
तेरी जिन्दगी , खुशियों से होगी रोशन

वक़्त से जो निभा ली , यारी तुमने
तेरी जिन्दगी को नसीब होंगी , हज़ारों खुशियाँ

अपने प्रयासों को , वक़्त का हमसफ़र कर देखो
तेरे प्रयासों को मंजिल का , आसमां होगा नसीब

तेरी कोशिशों को होगा नसीब , तेरी आरज़ू का साथ
गर  जो थाम लिया तूने, वक़्त का दामन

नसीब उसका संवारता है , जो चलता है वक़्त के साथ
किस्मत संवर  जाती है , रोशन होती है शख्सियत उसकी

तुम भी कुछ कदम , वक़्त का साथ लिए चलकर देखो
तुझे भी नसीब होगी , एक प्यारी सी मुस्कुराती जिन्दगी

द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता (के वी सुबाथू )

No comments:

Post a Comment