नारी
आज की आधुनिक नारी
कतरा - दर कतरा जिन्दगी
को संजोती नारी
अपने आँचल में हौसलों का एह्सास लिये
उम्मीदों का एक समंदर संजोती नारी
जीवन मरू में प्यार की सरिता बहाती
तिनका - तिनका कर अपना
आसमां रोशन करती नारी
स्वयं के विश्वास के दम हौले - हौले बढ़ती
खुशनुमा जिन्दगी का एक कैनवास सजाती नारी
बिखर जाती जो खुशियाँ बनकर
खुद को खुद का हमदम बनाती नारी
उम्मीदों की सतरंगी किरणों से स्वयं को रोशन करती
ज़माने को बदलने का एहसास जगाती नारी
इनकी सूरत पर लिखी ज़माने की कहानी
समाज के सांस्कृतिक चेहरे का दर्पण होती नारी
एक उन्मुक्त गगन की चाह में जीती
जीवन के विभिन्न आयामों में स्वयं को पिरोती नारी
स्वयं पुष्पित होती , औरों को पुष्पित करती
अपनी संवेदनाओं को अपना चरित्र बनाती नारी
अपने हर एक कर्म को अपना धर्म समझती
संस्कृति और संस्कारों अका परचम लहराती नारी
नारी
Reviewed by anil kumar gupta
on
November 28, 2018
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