क्यों कर तुम्हारे खून में
क्यों कर तुम्हारे
खून में उबाल नहीं आता
क्यों कर तुम्हारी
आत्मा तुम्हें नहीं लजाती
क्यों कर स्वयं के
हित जी रहे तुम
ऐसा क्या है कि जागते
नहीं हो तुम
या फिर ऐसा है कि
जागना नहीं चाहते तुम
क्यों नहीं करते
बहिष्कार इन कुसियों के लोभियों का
क्या चाटुकारिता ही
है इस जीवन का मर्म
राष्ट्रहित क्या
तुम्हारा नहीं है कोई धर्म
क्यों नहीं जागता
स्वाभिमान तुम्हारा
क्यों समझते हो तुम
खुद को नाकारा
क्यों नहीं करते तुम
राष्ट्रप्रेम की लौ रोशन
क्यों नहीं जागता
राष्ट्रधर्म तुम्हारा
क्यों नहीं करते तुम
स्वयं को पुष्पित
क्या राष्ट्र के हित
नहीं कोई धर्म तुम्हारा
क्यों कर तुम्हारे
खून में उबाल नहीं आता
क्यों कर तुम्हारी
आत्मा तुम्हें नहीं लजाती
क्यों कर स्वयं के
हित जी रहे तुम
ऐसा क्या है कि जागते
नहीं हो तुम
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