समय

April 09, 2019

समय

अनंत और अविनाशी है समय
समय की विशालता का ज्ञान जिन्दगी का सत्य

मुट्टी से रेत की तरह फिसलता समय
जीवन की असफलता का परिचायक

समय रहते चेत जाना जीवन का मूल मंत्र
प्रेम में समयाभाव का बोध होता है
समय जो नहीं संभला तो सब व्यर्थ

समय संभावना नहीं है अवसर है
जीवन को संजोने का

समय की व्यापकता का ज्ञान
जीवन की पूर्णता का ज्ञान

जीवन के हर पल को
अर्थपूर्ण तरीके से जीना ही
समय का श्रेष्ठ उपयोग

समय को हाथों से फिसलने देना
जीवन के पतन की ओर अग्रसर होना

समय की अर्थपूर्ण उपयोगिता ही जीवन उत्थान
समय का इंतज़ार आखिर क्यों ?
समय इंतज़ार नहीं करता वह तो
बीतता रहता है

समय किसी का इंतज़ार नहीं करता
न ही इंतज़ार करने के लिए प्रेरित करता है
समय कहता है
मुझे मुट्ठी में
कैद कर सको तो कैद कर लो

समय अनंत और मानव का अंत
एक अटल सत्य
आपके प्रयासों में गति है तो समय आपके साथ

जीवन के हर लम्हे को खूबसूरत बना लेना
समय का श्रेष्ठ उपयोग
समय के साथ चलना
स्वयं को जीवंत बनाए रखना है

समय परिवर्तन जीवन का परिवर्तन
समयबद्ध प्रयास
मंजिल की ओर दो कदम
समय जिसे बांधकर रखना असंभव

समय ही जीवन का सबसे उत्तम मित्र
केवल समय ही जीवन का अंतिम सत्य
समय चाहे तो आसमां पर बिठा दे
या फिर फर्श पर गिरा दे

समय पर विजय जीवन पर विजय
समय हमारा सबसे बड़ा
मित्र भी हो सकता है
या फिर शत्रु

चलो समय की धरा में बहना सीखें
समय से कुछ न कुछ सीखें
समय को अपना मित्र बना
बढ़ चलें मंजिल की ओर

समय समय Reviewed by anil kumar gupta on April 09, 2019 Rating: 5

जिन्दगी के रंग भी

April 09, 2019

जिन्दगी के रंग भी

जिन्दगी के रंग भी
कुछ अजब निराले

कुछ अधखिले पुष्प से
कुछ अनछुए रहस्यों से सुशोभित

कहीं जीवन “जीवन – राग” से सराबोर
कहीं कल  - कल बहती सरिता सा शांत
तो कहीं समंदर में उठते
ज्वार - भाटे का सा रुदन

जिन्दगी स्वयं को जिन्दगी के
पालने में झुलाती
कभी मुस्कुराती
कभी सहम जाती

कभी सलिला सा तांडव कर
सब कुछ विनष्ट कर देती
जिन्दगी
कभी किसी नवजात की
मुस्कराहट बन खिल उठती
तो कभी
अपनों के विछोह का मर्म हो जाती
जिन्दगी
कभी संस्कारों के तले संवर उठती
कभी किसी बूढ़े वृक्ष के
आशीर्वचन का प्रतिरूप हो जाती

जिन्दगी कभी
धर्म का मर्म बन संवरती
कभी देवालय की छाँव तले
स्वयं को पुष्पित करती

जिन्दगी कभी भिक्षुक बन
“दया धर्म का मूल है , पाप मूल अभिमान “
की भावना से ओतप्रोत हो जाती

जिन्दगी कभी खेत में लहलहाती
सरसों की भाँति खिल उठती
तो कभी चीड़ के वृक्ष हो
आसमां को छू लेने को प्रेरित करती

जिन्दगी हर पल स्वयं को
समय के पालने में झुलाती
हर पल नए अनुभव से सुसज्जित होती

अपने परायों का बोध कराती
हर पल कुछ सिखाती
गिर कर उठना
गिरते को संभालना

जिन्दगी , हर पल
उस परम तत्व का बोध कराती
उसकी कृपा, उसकी दया का पात्र बनाती
सत्मार्ग की ओर
प्रस्थित करने को प्रेरित करती

जिन्दगी , कभी किसी पुष्प की भांति
खुशबू बिखेरती
तो कभी काँटों का पर्याय हो जाती

जिन्दगी के अपने मायने हैं
जिन्दगी के अपने सत्य हैं
जिन्दगी का अपना स्वयं का राग है
जिन्दगी का अपना स्वयं का संगीत है

जिन्दगी का अपना स्वयं का मंदिर है, मस्जिद है
जिन्दगी का अपना चर्च है, अपना गुरद्वारा है

जिन्दगी का अपना धर्म है
जिन्दगी का अपना सत्कर्म है
जिन्दगी का अपना ज्वार  - भाटा है
जिन्दगी का अपना स्वयं का समंदर है

जिन्दगी की अपनी सुबह और शाम है
जिन्दगी की अपनी अलग फेसबुक है
जिन्दगी का अपना अलग व्हाट्सएप है
जिन्दगी का अपना अलग ट्विटर अकाउंट है
जिन्दगी का अपना स्वयं का search engine है

जिन्दगी , जिन्दगी को जिन्दगी की तरह
जीने को प्रेरित करती
जिन्दगी की अपनी अलग ईमेल आई डी है
जो केवल रिश्तों की मजबूती के सन्देश प्रेषित करती है
सत्मार्ग की ओर अग्रसर होने का सन्देश देती है

जिन्दगी सत्कर्म को अपने जीवन का
धर्म होने का सन्देश प्रेरित करती है
जिन्दगी के अपने search engine में
केवल सकारात्मक शब्दों का समावेश है
नकारात्मक सोच वाले शब्द
इस search engine का हिस्सा नहीं हैं

सत्कर्म , सद्विचार , सत्मार्ग, जीवन का सत्य ,दया, धर्म,
आध्यात्मिक विचार , जीवन मोक्ष, परमात्म तत्व , जीवन उद्धार
 आदि विषय इस search engine की मुख्य शब्दावली हैं

जीने का नाम जिन्दगी
बढ़ते रहने का नाम जिन्दगी
आओ जिन्दगी से रिश्ता बनाएं
रोशन जिन्दगी का एक उपवन सजाएं

जिन्दगी के रंग भी जिन्दगी के रंग भी Reviewed by anil kumar gupta on April 09, 2019 Rating: 5

क्यूं न हम किये वादे निभाकर देखें

April 09, 2019

क्यूं न हम किये वादे निभाकर देखें

क्यूं न हम किये वादे निभाकर देखें
क्यूं न हम रूठे रिश्ते मनाकर देखें

क्यूं न हम किसी के ग़मों को चुराकर देखें
क्यूं न हम किसी के लब पर मुस्कान लाकर देखें

क्यूं न हम इस कायनात की हर एक चीज से मुहब्बत कर देखें
क्यूं न हम इस गुलशन को रोशन कर देखें

क्यूं न हम कुछ गीत मुहब्बत के लिखकर देखें
क्यूं न हम उस खुदा की इस दुनिया से मुहब्बत कर देखें

क्यूं न हम रिश्तों को पाकीजगी अता कर देखें
क्यूं न हम अपनों को अपना कहकर देखें

क्यूं न हम इस कायनात का आलिंगन कर देखें
क्यूं न हम इस जहां को उपवन सा रोशन कर देखें

क्यूं न हम किये वादे निभाकर देखें
क्यूं न हम रूठे रिश्ते मनाकर देखें

क्यूं न हम किसी के ग़मों को चुराकर देखें
क्यूं न हम किसी के लब पर मुस्कान लाकर देखें


क्यूं न हम किये वादे निभाकर देखें क्यूं न हम किये वादे निभाकर देखें Reviewed by anil kumar gupta on April 09, 2019 Rating: 5
Powered by Blogger.