वादा करके मुकर गया कोई - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता

October 03, 2018

वादा करके मुकर गया कोई
लगा, हँसते हँसते को रुला गया कोई
हसरत थी उसकी भी उड़ने की
मगर , पंख चुरा ले गया कोई

तुझसे मुहब्बत हुई , तो क्या गुनाह हुआ
इसी बहाने खुदा के और करीब  आ गया हूँ मैं

सच को मैं जितना तोलूँ , उतना ही ये पावन लागे
नील गगन के तारे , सच बिन सब कुछ फीका लागे

उसकी नन्ही मुस्कान चांदनी बिखेरती
कह गई मुझसे
इस नन्ही मुस्कान को सीने से लगा
उस खुदा का एहसास करो


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मन की बातें , दिल क्यों सुनता

October 03, 2018

मन की बातें , दिल क्यों सुनता

मन की बातें , दिल क्यों सुनता
चल मन बूझें , एक पहेली
मन का सम्मोहन , क्यों पूरे तन
मन की दुनिया अजब निराली
मन के आँगन में तुम उतरो
महक उठे मन आँगनआँगन
मन का देह से रिश्ता कैसा
यह तो है स्वच्छंद विचरता
मन के भीतर झाँक के देखो
मन के अंतर्मन को पहचानो
मन के मौन में प्रश्न बहुत हैं
इन प्रश्नों से नाता जोड़ो
मन को कौन करे संचालित
क्या यह है ईश्वर पर आश्रित
मन हिंसक प्रतियोगी क्यों है
अहंकार भाव में उलझा
मेरा मन तुम्हारे मन से अलग क्यों
मन के ईश्वर अलगअलग क्यों
मन की तृष्णा मन ही जाने
तन को ये बस साधन जाने
मन तेरा क्यों डोल  रहा है
तन से कुछ ये बोल रहा है
पावन मन की सुन्दर बातें
तन की सुन्दरता की पोषक
मन की चेतना , देह चेतना
मन फिर इतना चंचल क्यों है
मन का धैर्य , मन की मर्यादा
स्वच्छ जीवन की अभिलाषा
मन के हरे हार है
मन के जीते जीत
 मन की बातें , दिल क्यों सुनता
चल मन बूझें , एक पहेली







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बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता

October 03, 2018

बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को

बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को
आसमां तुम्हारा है , उड़ान भरकर देखो

जीवन का उत्कर्ष , साहस , शक्ति , उमंग का एहसास
इसे व्यर्थ न गंवाओ तुम
सपने तुम्हारे अपने हैं , उड़ान भरकर देखो

जीवन का उत्कर्ष , चांदनी सी शीतलता , वायु सा वेग और जल सी निश्छलता
क्यों फिर रहे हो आवारा बादलों से
गगन विशाल है , उड़ान भरकर देखो

अनमोल होती है निंदिया , यूं ही जागजाग रातें न बिताओ तुम
सपनों का गगन व्यापक है , उड़ान भरकर देखो

क्यों दुःख के उस पार , दुःख को खोज रहे हो तुम
स्वयं के अंतर्मन को पंख दो , उड़ान भरकर देखो

अपने किरदार से परिचय क्यों नहीं हो रहा तुम्हारा
स्वयं को सजाओ, संवारो , उड़ान भरकर देखो

तुम्हें अपनी मंजिल का क्यों नहो रहा भान नहीं
जीवन की सार्थकता , सत्कर्म से परिपूर्ण आसमां में है  , उड़ान भरकर देखो



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पथिक तुम इतने विव्हल क्यों - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस

October 03, 2018

पथिक तुम इतने विव्हल क्यों

पथिक तुम
इतने विव्हल क्यों ?
क्या सूझ नहीं रहा
मार्ग तुमको ?
जीवन की जटिलतायें ,
यात्रा की यातनायें ,
अँधेरे का भय ,
अधूरे सपनों का जाल ,
क्या ये सब तुझे
भयभीत करते हैं ?

मैं पथिक हूँ
मुझे मार्गों का भय कैसा ?
मुझे अँधेरे का डर कैसा ?
उपर्युक्त सभी विषय
मुझे व्याकुल नहीं करते
मेरी निगाह मंजिल पर है
केवल मंजिल पर

पथिक तुम इतने विव्हल क्यों - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस पथिक तुम इतने विव्हल क्यों - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

वर्तमान मुझे रोने नहीं देता - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , के वी एस

October 03, 2018

वर्तमान मुझे रोने नहीं देता

वर्तमान मुझे रोने नहीं देता
बीती बातें मुझे खुशियाँ नहीं देतीं

ग़मों से छूटता नहीं पीछा मेरा
रातें मुझे सोने नहीं देतीं

कोलाहल मुझसे सहन नहीं होता
तन्हाइयां मुझे जीने नहीं देतीं

अंदाजा इस बात का नहीं तुमको
उसकी यादें मुझे मरने नहीं देतीं

आसरा मुझको उसकी यादों का
उसकी नादानियां उसे भूलने नहीं देतीं

इश्क मुझे हुआ यूं ही नहीं
उसकी शोख अदाएं मुझे मरने नहीं देतीं

मुझे मुहब्बत यूं ही नहीं तुझसे
वो मीठीमीठी बातें तुझसे जुदा होने नहीं देतीं

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पंखों को मेरे उड़ान दे दो - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता, के वी एस

October 03, 2018

पंखों को मेरे उड़ान दे दो

पंखों को मेरे उड़ान दे दो
मुझे भी थोड़ा आसमान दे दो
फूलों की सी खुशबू दे दो
चंद्रमा की सी चांदनी दे दो

मुझे कामनाओं में न फंसाओ
मुझे भी थोड़ा विश्राम दे दो
जयजयकार की मुझे चाहत नहीं है
मुझे भी थोड़ा सा काम दे दो

इंद्रजाल में उलझाओ न मुझको
मुझे भी थोड़ा स्वाभिमान दे दो
पीछे   न हटूं कर्तव्य मार्ग से
मुझको भी थोड़ा सम्मान दे दो

मैं इतना भी बुद्धिजीवी नहीं हूँ
मुझको थोड़ा सा ज्ञान दे दो
सरिता सा मुझे पावन कर दो
मुझे जीवन का वरदान दे दो




पंखों को मेरे उड़ान दे दो - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता, के वी एस पंखों को मेरे उड़ान दे दो  - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता, के वी एस Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

नेकी को करके भूल जा , करके परोपकार - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस

October 03, 2018

नेकी को करके भूल जा , करके परोपकार

नेकी को करके भूल जा , करके परोपकार
राहें इंसानियत की , करें तेरा अभिनन्दन
खुद पर कर भरोसा और राह हो नेकी
राह मानवता की , करें तेरा वंदन

लोगों के लिए दिल में , जगा तू संवेदना
खुदा ने तुझको भेजा , देकर ये प्रयोजन
निष्काम भाव से , तुम सेवा करो सदा
सम्मान मिले तुझको , हो तेरा अभिनन्दन

चन्दन की खोज में , तुम न भटकना
ख़ुद को खोजना , खुद को परखना
स्वयं के अस्तित्व पर तुम न लजाना
सत्यपथगामी हो तुम स्वयं को तराशना

संवेदनशील हो दूसरों पर अनुग्रह करना
दयावान हो दूसरों की मदद करना
कर्मपथ पर बढ़ना , सत्कर्म करना
सागर सा विशाल ह्रदय ले तुम विचरना

प्रकृति से अपनी तुम अनुराग रखना
पुष्पों की खुशबू अपने पास रखना
पेड़ों से कहना , बहाओ चंचल हवाएं
झरनों का संगीत , मन में बसाना

नेकी को करके भूल जा , करके परोपकार - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस नेकी को करके भूल जा , करके परोपकार  - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता , पुस्तकालय अध्यक्ष , के वी एस Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

किसी की किस्मत संवार के देखो - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन

October 03, 2018

किसी की किस्मत संवार के देखो

किसी की किस्मत संवार के देखो
किसी रोते हुए को चुप करा के देखो
यूं ही नहीं रोशन होती जिन्दगी
किसी के गम में आंसू बहा के देखो

दो फूल खुशबू में खिला के देखो
किसी के आँचल को सजा के देखो
यूं ही मेहरबान खुदा नहीं होता
राहे इंसानियत पर दो कदम जा के तो देखो

किसी भूखे को रोटी खिलाकर तो देखो
किसी निर्धन का सहारा बनकर तो देखो
यूं ही नहीं होता अभिनन्दन किसी का
किसी भटके को राहें दिखाकर तो देखो

धरती को चाँद आ पावन बनाकर तो देखो
किसी बदसूरत से दिल लगाकर तो देखो
यूं ही नहीं करेंगे लोग तेरा अभिनन्दन
किसी गिरे हुए राही को उठाकर तो देखो

किसी रूठे बच्चे को मनाकर तो देखो
किसी महिला की आबरू बचाकर तो देखो
यूं ही नहीं करेंगे लोग तेरा सम्मान
संस्कारों वा संस्कृति की गंगा बहाकर तो देखो

किसी की किस्मत संवार के देखो - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन किसी की किस्मत संवार के देखो  - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता  पुस्तकालय अध्यक्ष  केंद्रीय विद्यालय संगठन Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

के वी एस पर स्लोगन्स - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन

October 03, 2018

के वी एस पर स्लोगन्स

1. स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में के वी एस का अपना ही नाम है
हर किसी को नहीं मिलता , आसानी से यह सम्मान है


2. के वी एस तुम अनेकता में एकता के सर्वश्रेष्ठ प्रचारक हो
के वी एस संस्कृति एवं संस्कारों के तुम सर्वश्रेष्ठ प्रचारक हो


3. के वी एस की बच्चों के प्रति सहृदयता इसे एक
महान शैक्षिक संस्था के रूप में स्थापित करती है

4. के वी एस की स्कूली शिक्षा के प्रति
प्रतिबद्धता इसे अभिनन्दन के शिखर पर शीर्षस्थ करती है



के वी एस पर स्लोगन्स - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन के वी एस पर स्लोगन्स - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता  पुस्तकालय अध्यक्ष  केंद्रीय विद्यालय संगठन Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5

वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन

October 03, 2018

वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा

वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा
हो सके तो वक़्त को अपना बना कर के दिखा

बादलों की बारिश से दो बूँद चुरा कर के दिखा
हो सकत तो किसी के दुःख को अपना बना कर के दिखा

अपने भीतर की पीर को भुला कर के दिखा
अनुपम हो तेरा चरित्र ऐसा कुछ कर के दिखा

किसी के अंधकारपूर्ण जीवन में रौशनी कर के दिखा
प्रकृति के आँचल में दो फूल खिला कर के दिखा

किसी प्यासे को दो बूँद पानी पिला कर के दिखा
किसी की खामोश जिन्दगी में रौशनी कर के दिखा

करें तुझसे सब  प्रेम जग में , ऐसा कुछ कर के दिखा
पालने के बालपन को  दो पल के लिये हंसाकर के दिखा

किसी भटकते राही को राह बतलाकर के दिखा
किसी की स्याह रातों में रौशनी कर के दिखा

आधुनिकता के माया जाल से खुद को बचाकर के दिखा
संस्कृति और संस्कारों की गंगा बहाकर के दिखा



वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा - द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता  पुस्तकालय अध्यक्ष  केंद्रीय विद्यालय संगठन Reviewed by anil kumar gupta on October 03, 2018 Rating: 5
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